وَلَا تُفْسِدُوا فِي الْأَرْضِ بَعْدَ إِصْلَاحِهَا وَادْعُوهُ خَوْفًا وَطَمَعًا ۚ إِنَّ رَحْمَتَ الله قَرِيبٌ مِّنَ الْمُحْسِنِينَ
Не распространяйте нечестия на земле после того, как она приведена в порядок. Взывайте к Нему со страхом и надеждой. Воистину, милость Аллаха близка к творящим добро. (аль Аараф: 56)
قال أبو جعفر: يعني تعالى ذكره بقوله: " ولا تفسدوا في الأرض بعد إصلاحها " ، لا تشركوا بالله في الأرض ولا تعصوه فيها، وذلك هو الفساد فيها.
Сказал Абу Джафар: Слова Всевышнего "Не распространяйте нечестия на земле после того, как она приведена в порядок" означают: Не совершайте на ней ширк Аллаху и не проявляйте на ней неповиновения, это и есть распространение нечестия на ней.
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بعد إصلاحها يقول: بعد إصلاح الله إياها لأهل طاعته، بابتعاثه فيهم الرسل دعاة إلى الحق، وإيضاحه حججه لهم
после того, как она приведена в порядок - после того, как Аллахпривёл её в порядок для тех, кто подчиняется Ему, посредством послания к ним посланников, призывающих к Истине, и разъяснения им доводов.
وادعوه خوفًا وطمعًا ، يقول: وأخلصوا له الدعاء والعمل، ولا تشركوا في عملكم له شيئًا غيره من الآلهة والأصنام وغير ذلك، وليكن ما يكون منكم في ذلك خوفًا من عقابه، وطمعًا في ثوابه. وإنّ مَن كان دعاؤه إياه على غير ذلك، فهو بالآخرة من المكذبين، لأنّ من لم يخف عقابَ الله ولم يرجُ ثوابه، لم يبال ما ركب من أمر يسخَطه الله ولا يرضاه
Взывайте к Нему со страхом и надеждой - очистите для Него поклонение, дуа и дела от ширка, и никого и ничего не придавайте Ему в сотоварищи в ваших действиях, ни богов, ни идолов, ни что-либо помимо этого. Но пусть будут ваши поклонение, дуа и дела со страхом от Его наказания и надеждой на Его награду. А тот, чьи дуа и поклонения Ему не на этом, то он считает ложью будущую жизнь, поскольку тот, кто не боится наказания Аллаха и не надеется на Его награду, тот не задумывается при совершении греха, что прогневает Аллаха и Он не будет им доволен.
إن رحمة الله قريب من المحسنين ، يقول تعالى ذكره: إن ثواب الله الذي وعد المحسنين على إحسانهم في الدنيا، قريب منهم، وذلك هو رحمته لأنه ليس بينهم وبين أن يصيروا إلى ذلك من رحمته وما أعدّ لهم من كرامته إلا أن تفارق أرواحهم أجسادهم.
Воистину, милость Аллаха близка к творящим добро - говорят, это награда Аллаха, которую ОН пообещал творящим добро за их деяния в этом мире, она близка, а также Милость Аллаха, поскольку нет (не стоит) между ними и получением Его Милости и того, что Он обещал им из Своих щедрых воздояний ничего, кроме смерти (досл. исхода их душ из их тел)
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ولذلك من المعنى ذُكِّر قوله: " قريب " ، وهو من خبر " الرحمة " ، و " الرحمة " مؤنثة، لأنه أريد به القرب في الوقت لا في النَّسب، والأوقات بذلك المعنى إذا وقعت أخبارًا للأسماء، أجرتها العرب مجرى الحال، فوحّدتها مع الواحد والاثنين والجميع، وذكَّرتها مع المؤنث، فقالوا: " كرامة الله بعيد من فلان "، و " هي قريب من فلان "، كما يقولون: " هند قريب منا "، و " الهندان منا قريب "، و " الهندات منا قريب "، لأن معنى ذلك: هي في مكان قريب منا. فإذا حذفوا المكان وجعلوا " القريب " خلفًا منه، ذكَّروه ووحَّدوه في الجمع، كما كان المكان مذكرًا وموحدًا في الجمع. وأما إذا أنثوه، أخرجوه مثنى مع الاثنين، ومجموعًا مع الجميع، فقالوا: " هي قريبة منا "، و " هما منّا قريبتان "، كما قال عروة بن الورد
عَشِــيَّةَ لا عَفْــرَاءُ مِنْـكَ قَرِيبَـةٌ
فَتَدْنُــو, وَلا عَفْــرَاءُ مِنْـكَ بَعِيـدُ
فأنث " قريبة "، وذكّر " بعيدًا "، على ما وصفت. ولو كان " القريب "، من " القرابة " في النسب، لم يكن مع المؤنث إلا مؤنثًا، ومع الجميع إلا مجموعًا.